Thursday, May 17, 2018
Wednesday, May 16, 2018
हम कहां से कहां जा रहे है?
हम कहां से कहां जा रहे है?
व्हॉट्स एप के द्वारा मुझे मिला ऊपर का व्यंग चित्र सचमुच ही अतिशय शोचनीय है।
पिछले दो दशक में "स्त्री स्वातंत्रय" को काफी बढ़ाव मिला है, और आजकल ना केवल बैंक, सरकारी दफ्तर और मल्टी नेशनल कम्पनी के सी ई ओ लेवल, किन्तु हवाई जहाज के पायलट, पुलिस, आर्मी और नेवी में भी स्त्रीओ ने पदार्पण कर लिया है। ये अच्छी और सराहनीय बात है।
मगर इस का एक विपरीत असर अब नजर में आने लगा है। वो है स्त्री ~ पुरुष के वैवाहिक जीवन में बढ़ता हुआ तनाव। और इससे भी आगे बढ़के आजकल ३० की आयुष के बाद भी लड़के-लड़किया शादी के बंधन से जिजकते हुए नज़र आते है। कुछ तो पश्चिमी प्रभाव वाले युवा शादी के बजाय "लाइव इन रिलेशन शिप" पसंद करने लगे है।
लगता है सदियों पुरानी हमारी सामजिक विवाह/शादी की परंपरा को अब उधई के कीटाणु लग चुके है। अब इस को कोई नहीं बचा शकता।
हमने स्त्री स्वातंत्र्य तो पा लिया मगर आने वाले दिनों में इस के लिए समाज ने क्या किम्मत चुकाई वो मालूम हो जायेगा।
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