साल मे सीर्फ एकबार कार्तिक पुर्णीमा के दीन प्रभास मे स्थीत सोमनाथ ज्योतिर्लींग मे मध्यरात्री को संयोग बनता है, जीसमे चंद्र-शीखर-शिवलींग-ध्वजा-डमरू-त्रीशुल सभी एक रेखा मे स्थीत होते है, जैसे द्रश्यमान हो की शीवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर स्थान दिया है, रात 12 बजे महाआरती होती है, ओर लाखो भक्त शीवकृपा प्राप्ती करके धन्य बनते है।
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